Adolf Hitler Biography Hindi – क्रूर तानाशाह हिटलर का जीवन परिचय

Adolf Hitler Biography Hindi – क्रूर तानाशाह हिटलर का जीवन परिचय – एडोल्फ हिटलर दुनिया के क्रूर तानाशाह में गिना जाता है। जब भी दुनिया भर में जब भी दुनिया भर में सबसे क्रूर तानाशाह का नाम आता है तो एडोल्फ हिटलर का नाम सबसे पहले आता है. एडोल्फ हिटलर अपने जमाने में दुनिया का सबसे क्रूर तानाशाह माना जाता था.

हिटलर अपने कड़े नियमों और क्रूर अंदाज के लिए पूरे विश्व में विख्यात था. हिटलर जर्मनी में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में लोग इसके नाम से डरा करते थे.

आज के हमारे इस लेख में हम लोग एडोल्फ हिटलर Adolf Hitler Biography Hindi – क्रूर तानाशाह हिटलर का जीवन परिचय के बारे में बात करने वाले हैं.

Adolf Hitler Biography Hindi – क्रूर तानाशाह हिटलर का जीवन परिचय

हिटलर का पूरा नाम ‘ एडोल्फ हिटलर” था हिटलर का जन्म 20 अप्रैल 1889 को ऑस्ट्रिया के नामक जगह पर हुआ था. हिटलर के पिता का नाम अलोइस हिटलर और मां का नाम क्लारा पाँज़ल था. क्लारा अलोइस की तीसरी पत्नी थी.

हिटलर अपने माता पिता की चौथी संतान थी वर्ष 1930 में पिता की मृत्यु के बाद एडोल्फ हिटलर के घर में हालात कुछ ठीक नहीं थे. उनकी आर्थिक स्थिति और भी खराब होते जा रही थी क्योंकि पिता के मरने के बाद उनके परिवार की देखरेख करने वाला कोई नहीं था. कुछ वर्षों बाद हिटलर की माता का भी निधन हो जाता है. इसका सर हिटलर की पढ़ाई पर दिखता है, इस वजह से एडोल्फ हिटलर आगे की पढ़ाई ना कर सका. उसने पोस्टकार्ड बेचने का काम किया. उससे होने वाली आमदनी से हिटलर ने अपना गुजारा करने शुरू कर दिया.

इस तरह हिटलर अपना जीवन बिताने लगा. हिटलर बचपन से ही जर्मन राष्ट्रवाद का बहुत बड़ा प्रशंसक था. इस बात का फैसला हम इस बात से लगा सकते हैं कि ऑस्ट्रेलिया में रहकर ही हिटलर जर्मनी का राष्ट्रगान गाता था. बात है वर्ष 1913 में हिटलर जर्मनी के म्यूनिख शहर में बस गया और उसमें जर्मनी सेना में भर्ती होने के लिए आवेदन दिया था.

वर्ष 1914 में उसने जर्मनी सेना में भर्ती होने के लिए आवेदन को स्वीकार कर लिया गया. पहले विश्व युद्ध में हिटलर के देश के प्रति समर्पण और भक्ति देख कर के उसे कई सारे पुरस्कार और सम्मान से पुरस्कृत किया गया था. लेकिन, पहले विश्व युद्ध में जर्मनी के आत्मसमर्पण से हिटलर को बहुत दुख हुआ. जर्मनी के आत्मसमर्पण का जिम्मेदारी उसने वहां के नेताओं और यहूदियों को ठहराया था.

यहूदियों के प्रति एडोल्फ हिटलर की नाराजगी

पहले विश्व युद्ध में जर्मनी का आत्मसमर्पण करने से हिटलर काफी नाराज था. इसका कारण और जिम्मेदारी व वहां के नेताओं और यहूदियों को दिया करता था. इससे उसके दिल में यहूदियों के लिए नफरत दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी.

यहूदियों से इतनी नफरत करने के बावजूद भी एडोल्फ हिटलर को एक युवती लड़की से मोहब्बत हो गई थी. लेकिन वह कभी भी उसे अपने दिल की बात ना बता सका. बात है वर्ष 1918 में, जब नाजी दल की स्थापना की जा रही थी. नाजी सेना का चिन्ह स्वास्तिक था और वह खुद को आर्य वंश का मानते थे. इस दल में केवल उन लोगों को ही शामिल किया जाता था जो यहूदियों से नफरत करते थे. इस सेना और दल का काम यहूदियों से काम करवाना और उनके अधिकारों को छीनने का काम था.

लोग हिटलर के प्रभावशाली भाषणों और जर्मनी के बारे में उसकी सोचने के लिए काबिलियत से बहुत ज्यादा प्रभावित हो रहे थे. उस दौरान हिटलर नाजी दल का लीडर बन गया था. लोग उसके भाषण और जर्मनी के लिए उसके सोच विचार से काफी ज्यादा प्रभावित थे. इसी वजह से हिटलर की पूरी पार्टी जर्मनी में प्रसिद्ध हो गई थी.

एडोल्फ हिटलर का राजनीति में कदम

एडोल्फ हिटलर के भाषण और उसके पर वचनों से लोग काफी ज्यादा प्रभावित हो गए थे. हिटलर ने वर्ष 1923 में जर्मनी में विद्रोह कर दिया और तत्कालीन सरकार को गिराने की कोशिश की वह इस काम में सफल नहीं हो पाया था. उल्टा उस पर राष्ट्रद्रोह का आरोप लगाया गया और उसे जेल में डाल दिया गया था. जेल में ही उसने “ मीन कैंम्फ” ( मेरी संघर्ष) नाम की पुस्तक लिखी जो हिटलर की आत्मकथा थी.

वर्ष 1932 तक नाजी दल के सदस्यों की संख्या 230 हो चुकी थी. और अपने इसी नाजी दल के सदस्यों की मदद से उसने राष्ट्रपति का चुनाव भी लड़ा लेकिन वह इस चुनाव में हार गया था. वर्ष 1933 के चांसलर के चुनाव में उसे सफलता मिली और वह जर्मनी का चांसलर बन गया.

जर्मनी के राष्ट्रपति की मौत के बाद व जर्मनी का राष्ट्रपति भी बन गया. राष्ट्रपति बनते उसने यहूदियों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया और उसने 60 लाख से भी ज्यादा यहूदियों को मरवा कर उन्हें जेल में डलवा दिया था. इतिहास में यह दुनिया का सबसे बड़ा नरसंहार माना जाता है.

एडोल्फ हिटलर की क्रूरता

जैसे ही एडोल्फ हिटलर जर्मनी का राष्ट्रपति बना उसने वहां के यहूदियों को मौत के घाट उतार दिया. एडोल्फ हिटलर द्वारा की गई थी कार्यवाही में 60 लाख से भी ज्यादा यहूदियों को उसने मरवा दिया और कईयों को जेल भी भेज दिया था.

एडोल्फ हिटलर काफी तेज तर्रार, रूखे स्वभाव वाला और एक निर्दई इंसान माना जाता है. उसने दूसरे विश्व युद्ध के लिए सर्वाधिक जिम्मेदार माना जाता है. राष्ट्रपति बनने के 6 साल के अंदर ही उसने 60 लाख लाशें भिजवा दी थी. वर्ष 1933 में जर्मनी की सत्ता पर जब एडोल्फ हिटलर का कब्जा हुआ था तो उसने वहां एक नक्सलवादी साम्राज्य की स्थापना की थी.

उसके इस साम्राज्य में यहूदियों को दूसरे नागरिक से पुकारा जाता था और उन्हें इंसानी नस्ल का हिस्सा नहीं माना जाता था. यहूदियों के प्रति हिटलर की इस नफरत का नतीजा नरसंहार के रूप में सामने आया. उसने समूचे यहूदियों को जड़ से खत्म करने की सोची सब्जी और योजनाबद्ध कोशिश की थी.

होलोकास्ट दुनिया और इतिहास का वह नरसंहार था जिसमें 6 साल में तकरीबन 60 लाख यहूदियों की हत्या कर दी गई थी. सबसे हिला देने वाली बात यह थी कि हिटलर ने इन 60 लाख यहूदियों में से 15 लाख केवल बच्चे ही थे. उसके इस नरसंहार में उसने किसी को नहीं छोड़ा था.

एडोल्फ हिटलर की मौत

वर्ष 1939 तक एडोल्फ हिटलर ने पोलैंड, ऑस्ट्रिया, चेकोस्लोवाकिया जैसे कई देशों पर अपना अधिकार कर लिया था. दूसरे विश्व युद्ध में जब अमेरिका भी इसमें शामिल हो गया तब एडोल्फ हिटलर की राजनीतिक स्थिति बिगड़ने लगी थी.

एडोल्फ हिटलर सैनिक व अधिकारी उसके विरोध पांडे यंत्र करने लगे थे. विश्व युद्ध में खुद को कमजोर पाकर और खुद की हार को देखकर वह डर गया था. 30 अप्रैल 1945 को एडोल्फ हिटलर एक बंकर में छुप कर अपनी पत्नी के साथ गोली मारकर उसने आत्महत्या कर ली थी.

विश्वयुद्ध में करोड़ों लोगों की जानें गई है. इस तरह जर्मनी का एक क्रूर तानाशाह एडोल्फ हिटलर का अंत हुआ.

वर्ष 1945 में हिटलर की मौत के बाद यह खबर पूरी दुनिया में फैल गई थी. लोग मानते थे कि वह मर चुका है. तभी इस सच्चाई को एक पत्रकार ने चुनौती दी जो हिटलर के नजदीक का माना जाता था. यह एक नाजी पत्रकार था इसके अनुसार अपने शत्रुओं से बचते हुए हिटलर अर्जेंटीना के रास्ते पैराग्वे आए थे. इसी बीच उन्होंने ब्राजील में कुछ समय एक अनजान जगह पर एक छोटे से क्षेत्र में निवास भी किया जहां उन्होंने जाने पहचाने वाले कोई नहीं था. क्योंकि यहां वह अपनी असली नाम से नहीं जाने जाते थे.

एडोल्फ हिटलर के विचार

एडोल्फ हिटलर एक प्रेरक और बेहद ही अच्छी तरह से भाषण देने वाला इंसान था. लोग उसके भाषण और उसके प्रेरक विचारों को सुनकर मंत्र मुक्त हो जाया करते थे. हिटलर इतना तेज तर्रार और शातिर था कि वह लोगों को अपने वश में करना अच्छी तरह से जानता था. वह लोगों के सामने अच्छी एवं सुविचार वाली बातें रखता था. तो चलिए जानते हैं एडोल्फ हिटलर से जुड़ी कुछ सुविचारओं के बारे में.

एडोल्फ हिटलर के विचार
एडोल्फ हिटलर का सुविचार
  1. ” महान सत्यवादी महान जादूगर भी होते हैं”
  2. ” किसी देश को अगर जितना हो तो सबसे पहले वहां के नागरिकों को अपने काबू में करो”
  3. “विश्वास के खिलाफ लड़ना हमेशा ज्ञान के खिलाफ लड़ने से ज्यादा कठिन होता है”
  4. ” सत्यम मायने नहीं रखता बल्कि जीत मायने रखती है”
  5. ” सफलता ही सही और गलत की सीमा तय करती है”
  6. ” जो खुद जुनूनी होते हैं वह दूसरों में जुनून पैदा कर सकते हैं”
  7. ” संघर्ष सभी चीजों का जनक होता है, जानवरों के संसार में कोई मानव की तरह दूसरों को बचाता नहीं है, बल्कि संघर्ष करके ही जीता है”
  8. ” निरंतर प्रचार के जरिए लोगों को स्वर्ग को भी नरक दिखाया जा सकता है और मनहूस जीवन को स्वर्ग की तरह दिखाया जा सकता है”
  9. “कोई भी निर्णय लेने से पहले हजारों बार सोचो लेकिन एक बार निर्णय लेने के बाद कभी उससे पढ़ो मत चाहे इसके लिए आपको हजारों तकलीफ ही क्यों ना उठानी पड़े”
  10. ” वह जो युवाओं को पसंद आता है वह भविष्य में लाभ उठाता है”
  11. “मानवतावाद कायरता और मूर्खता की अभिव्यक्ति है”

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