Chitaranjan Das Biography Hindi – देशबंधु चितरंजन दास की जीवनी

चितरंजन दास (Chitaranjan Das Biography Hindi) का जन्म 5 नवंबर 18 सितंबर को ढाका के विक्रमपुर नगर के तेलिरबाग मे हुआ था. उनके पिता भुवन मोहन दास थे. उनकी माता दुर्गा मोहनदास थी. ब्रह्म समाज के दुर्गा मोहनदास उनके चाचा थे. उनके परिवार में कई प्रतिष्ठित राजनैतिक नेता, शिक्षक एवं न्यायविद एवं न्यायधीश हुए. सिद्धार्थ शंकर रे उनके जेष्ठ पुत्र रहे. प्रारंभिक शिक्षा भारत में ध्यान करके वे इंग्लैंड वकालत करने गए. वर्ष 1990 मैं उनका कैरियर शुरू हुआ जब उन्होंने अलीपुर बम कांड में फंसे अरविंद घोष का मुकदमा लड़ा.

बंगाल के महानतम क्रांतिकारी नेताओं में से एक में गिने जाने वाले चितरंजन दास देशबंधु (Chitaranjan Das Biography Hindi) के जीवन परिचय के बारे में आज हम जानेंगे.

Chitaranjan Das biography Hindi

Chitaranjan Das Biography Hindi – देशबंधु चितरंजन दास की जीवनी

वर्ष 1919 से लेकर वर्ष 1922 के असहयोग आंदोलन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. अंग्रेजो के द्वारा भारतीयों पर किए गए अत्याचारों, देश की गरीबी, दुर्दशा ने उन्हें दुखी कर दिया और वे देश की आजादी के लिए उठ खड़े हुए. सबसे पहले उन्होंने विदेशी कपड़ों की होली जलाई. अपने यूरोपियन कपड़ों को त्याग कर खादी कपड़े पहनना शुरू किया.

अंग्रेजी साम्राज्य के विरुद्ध अपनी लड़ाई को गति देने के लिए उन्होंने फॉरवर्ड पत्र निकाला जिसका नाम बाद में लिबर्टी (Liberty) रख दिया गया था. आंदोलन में प्रसिद्ध होने के कारण अंग्रेजी सरकार ने उन्हें 6 महीने की सजा भी सुनाई थी.

वर्ष 1921 में अहमदाबाद के कांग्रेस अधिवेशन में चितरंजन दास देशबंधु को अध्यक्ष चुना गया. यह उस समय जेल में थे इनके प्रतिनिधि के रूप में वकील अजमल खान ने अध्यक्ष भार संभाला. इनका अध्यक्षीय वक्तव्य सरोजिनी नायडू ने पढ़कर सुनाया था. जेल से छूटने के बाद उन्होंने आंदोलन को बाहर से ना कर काउंसिलो मैं घुस कर के विरोध करने की नीति अपनाई थी.

पर इनका प्रस्ताव ” गया कांग्रेस” अधिवेशन में स्वीकृत नहीं किया गया. तब उन्होंने त्यागपत्र देकर के स्वराज दल की स्थापना की थी. Chitaranjan Das Biography Hindi – देशबंधु चितरंजन दास की जीवनी

वर्ष 1923 में, दिल्ली में हुए कांग्रेस के अतिरिक्त में उनका प्रस्ताव आखिर में स्वीकृत हो गया. प्रस्ताव के अनुसार बंगाल काउंसलिंग मेल में घुसे तथा अपने स्वराज दल के कई लोगों को शामिल किया. बंगाल काउंसलिंग में इनका दल निर्विरोध चुना गया. अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध सब कार्य करते रहे. वर्ष 1924 से लेकर के 1925 तक कलकत्ता महापालिका में भी उनके पक्ष के बहुत लोग शामिल हुए जिनमें सुभाष चंद्र बोस भी शामिल थे ,और वह खुद भी वहां के मेयर रहे थे. इन्हीं दिनों गोपीनाथ सहा नामक बंगाली ने एक अंग्रेज की हत्या कर दी थी.

सरकार और उनके दल के बीच झगड़ा शुरू हो गया. सरकार ने संदेह में 80 लोगों को पकड़ लिया. कोलकाता कॉरपोरेशन ने भी सरकार की इस नीति का विरोध किया था. सरकारी विज्ञप्ति की धाराएं बंगाल क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट बिल में शामिल की गई. स्वराज दल ने बिल अस्वीकार कर दिया.

व्यक्तिगत रूप से अहिंसावादी और राजनीति शास्त्र के रूप में हिंसा का प्रयोग अनुचित समझते थे. वह हिंदू मुस्लिम एकता तथा संप्रदायिक समन्वयक का सिद्धांत पर विश्वास रखते थे. सामान्य जनों के दुख में द्रवित होकर उनके कल्याण के कार्य करने की वजह से ही उन्हें प्यार एवं आदर पूर्वक देशबंधु देश का मित्र कहने लगे थे.

चितरंजन दास के व्यक्तित्व के अन्य कई पहलू भी थे. चितरंजन दास देशबंधु जी एक उच्च कोटि के राजनीतिज्ञ एवं नेता होने के साथ-साथ बांग्ला भाषा के अच्छे कवि एवं पत्रकार भी थे. बंग साहित्य के आंदोलन में उनका प्रमुख हाथ रहा था. सागर संगीत, अंतर्यामी और किशोर किशोरी इनके काव्य ग्रंथ है.

सागर संगीत का इन्होंने और अरविंदो घोष ने मिलकर के सॉन्ग ऑफ द सी (Song of the Sea) नाम से अनुवाद किया और प्रकाशित किया था.

नारायण नामक वैष्णव साहित्य प्रधान मासिक पत्रिका का उन्होंने काफी समय तक संपादन किया था. कवि का हृदय अत्यंत भावुक होता है वह दुखी जनों को देखकर द्रवित हो जाता है. उन्होंने बेलगांव कांग्रेसमें 148 नंबर रूस रोड कोलकाता वाला मकान स्त्रियों और बच्चों के लिए अस्पताल बनाने के लिए दे दिया. महात्मा गांधी ने सी आर दास स्मारक निधि के रूप में 10 लाख रुपए इकट्ठा करके उनकी अंतिम इच्छा पूरी की.

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