Interesting fact about second World war – द्वितीय विश्वयुद्ध के बारे में रोचक तथ्य

second World war
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिकी सेना

Interesting fact about second World war – द्वितीय विश्वयुद्ध के बारे में रोचक तथ्य – द्वितीय विश्वयुद्ध एक ऐसा युद्ध था जिसमें कई सारे लोगों की जानें चली गई थी. द्वितीय विश्वयुद्ध की यह जानकारी जानकर आपकी रूह कांप जाएगी.

किसी भी इंसान के अंदर कई अच्छे गुण और कुछ बुरे गुण भी होते हैं. लेकिन, कई बार ऐसी परिस्थितियां भी आ जाती है कि इंसान जानवर से भी बदतर और खूंखार बन जाता है. इंसान अपना आपा खो बैठता है और ऐसे काम कर देता है कि खुद इंसान भी सोच कर के उसकी रूह कांप जाती है.

जब भी किसी इंसान के अंदर का जानवर वाली प्रवृत्ति जगती है वह दुनिया का सबसे बदकिस्मत और बदनसीब प्राणी बन जाता है. ऐसे हालातों में द्वितीय विश्व युद्ध (Second World war) जैसी घिनौनी युद्ध को अंजाम देता है.

आज के हमारे इस लेख में हम द्वितीय विश्वयुद्ध के बारे में जानेंगे. इसके साथ ही हम यह भी जानेंगे कि द्वितीय विश्व युद्ध के ऐसे रोचक तथ्य जिनके बारे में आपको नहीं पता है.Interesting fact about second World war – द्वितीय विश्वयुद्ध के बारे में रोचक तथ्य

Interesting fact about second World war – द्वितीय विश्वयुद्ध के बारे में रोचक तथ्य

दुनिया में अभी तक 2 विश्व युद्ध हो चुके हैं. द्वितीय विश्वयुद्ध केवल सिर्फ विश्वयुद्ध नहीं था बल्कि इंसानी सभ्यता के लिए यह एक अभिशाप था.

विश्व युद्ध में इंसान इंसान का दुश्मन बन बैठा था. चारों तरफ अराजकता और अत्याचार की खबरें सुनने को मिल रही थी. हर क्षेत्र और गोले बारूद के धमाकों से जल उठा था. आपकी नजर जहां तक जाएगी वहां तक आपको सिर्फ लाशें ही लाशें नजर आती. शांति और सहनशीलता जैसे हर एक के दिल से लुक साफ हो गया था.

द्वितीय विश्व युद्ध हुए 75 साल बीत चुके हैं, लेकिन आज भी इस युद्ध से जुड़ी बातें हमारे रोंगटे खड़ी कर देती है. इसलिए आज हम अपने इस लेख में द्वितीय विश्वयुद्ध से जुड़े कुछ अनजाने रोचक जानकारियों को आप लोगों के साथ साझा कर रहे हैं.

द्वितीय विश्व युद्ध के अंत के बाद भी जपानी सिपाही वर्ष 1974 तक लड़ते रहे

पूरी दुनिया गवाह है कि द्वितीय विश्वयुद्ध में जहां जापानी सिपाहियों से ज्यादा क्रूर और आज्ञाकारी सिपाही शायद ही कहीं देखने को मिलता होगा. जापानी आर्मी जिन्हें इंपीरियल जापानीस आर्मी रेजिमेंट भी कहा जाता था. हीरू ओण्डा (Hiroo Onoda) के युद्ध विराम के बाद भी वर्ष 1974 में फिलीपींस में एक मिशन के लिए भेजा गया था और कहां गया था किसी भी हाल में वे आत्मसमर्पण ना करें.

जापानीस आर्मी को मिले इस कमांड की वजह से वह वर्ष 1974 तक लड़ते रहे. जब उन्हें यह पता चला कि वर्ष 1945 में सब कुछ खत्म हो चुका है. तब उन्हें यह बात सुनकर के काफी आश्चर्य हुआ था. बाद में इसी वर्ष 1974 में उनके भूतपूर्व कमांडिंग ऑफिसर द्वारा यह आदेश दिया गया कि वे अब ड्यूटी से विराम ले सकते हैं. तब जाकर कि वे अपने काम से सेवा निर्मित हुआ था.

हिटलर का सबसे बड़ा दुश्मन

द्वितीय विश्वयुद्ध (Second World war) से जुड़ी बात आप को सबसे ज्यादा हैरान और आश्चर्य में डाल देगी. ऐसा इसलिए भी क्योंकि हिटलर का सबसे बड़ा दुश्मन खुद उसका भतीजा विलियम पैट्रिक हिटलर (William Patrick Hitler) था. वहां अपने चाचा एडोल्फ हिटलर से काफी नफरत करता था.

यही वजह थी कि विलियम पैट्रिक हिटलर ने एडोल्फ हिटलर का साथ ना देते हुए अमेरिकी नौसेना पर अपना योगदान दिया और अपने वीरता को दिखाया था. विलियम पैट्रिक हिटलर को अपने योगदान के लिए कई सारे सेना मेडल भी दिए गए थे. खैर युद्ध खत्म होने के बाद उसने अमेरिका के एक जगह से शांतिपूर्वक अपनी जीवन बिताई.

द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जॉर्ज (George HW Bush) और आदमखोर

द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जॉर्ज बुश को जापानी सेना के ऊपर में बम गिराने के आदेश दिए गए थे. जापानी सेना के ऊपर बम गिराते गिराते उनका विमान एक गोले से जा टकराया था जिसके कारण उनका पूरा का पूरा विमान वही नष्ट हो गया था. लेकिन, जॉर्ज बुश का नसीब अच्छा था उनके मित्र सेना ने सबसे पहले उन्हें खोज करके जिंदा निकाल लिया था.

जॉर्ज बुश के अन्य विमान दल को जापानी आदमखोर सेना ने पकड़ लिया था. ऐसा मारा जाता था कि जापानी आदमखोर सेना अपने दुश्मनों को मारकर के उनके जिस्म के कुछ हिस्से खा लिया करते थे. यही वजह थी कि उन्हें आदमखोर की संज्ञा दी गई थी.

द्वितीय विश्वयुद्ध में जर्मन सिटी की चालाकी

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कौंन्सटानज (Konstanz) नाम का एक जर्मन शहर अपने दिलेरी के लिए काफी तारीफ की गई थी. युद्ध के दौरान एयर राइड से बचने के लिए अक्सर नगर में लगे सारे बतियों को बुझा दिया जाता था. लेकिन, कौंन्सटानज शहर के लोग उस दौरान नगर की बतियों को बंद नहीं करते थे.

जिससे मित्र सेना यह समझ जाती थी कि कोई यह जर्मनी नगर नहीं है और उसके ऊपर अपना बम नहीं बरसाती थी. ऐसा करने से एक पूरा का पूरा नगर तबाह होने से बच गया था.

द्वितीय विश्व युद्ध का सबसे साहसी योद्धा

पहले विश्वयुद्ध में अपने जलवे दिखा चुके Adrian Carton De Wiart के लिए द्वितीय विश्व युद्ध भी अपने साहस की और एक बार दिखाने का मौका मिला था. दूसरे विश्वयुद्ध में उन्होंने अपना एक हाथ और एक आंख को दिया था.

second World war
द्वितीय विश्वयुद्ध

अपना एक आंख और हाथ होने के बावजूद भी यह युद्ध में लड़ते रहे. द्वितीय विश्व युद्ध में इन्हें इनके सर पर, मुंह पर और जांघ पर भी गोलियां लगी थी. द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में फिर भी यह जिंदा बच के निकल गए थे.

द्वितीय विश्व युद्ध में एक ही जहाज को दो बार डुबोया गया

द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान ऐसी भी घटना घटी जब एक ही जहाज को दो बार डुबोया गया. इस जहाज का नाम SMS Wien था. जोकि ऑस्ट्रेलियन नौसेना का एक जहाज और युद्धपोत था.

वर्ष 1918 के प्रथम विश्व युद्ध में या जहाज एक बार डूब चुकी थी. इसे दोबारा पानी से निकाला गया और इटली नौसेना पर इस युद्धपोत भर्ती किया गया था. बाद में इसे मित्र सेना ने एक बार फिर से नष्ट करके डुबो दिया था.

यह जहाज इसलिए खास है. क्योंकि इस जहाज को दोनों ही विश्वयुद्ध यानी कि पहले और दूसरे विश्व युद्ध दोनों ही विश्वयुद्ध में इस जहाज को डुबाया गया था.

द्वितीय विश्वयुद्ध का सबसे चालाक गुप्तचर

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एक ऐसा गुप्त चर का नाम भी सामने आया जिसने नाजियों के नाक में दम कर रखा था. उसने कई बार नाजियों को उल्लू भी बनाया था.

इस गुप्त चर का नाम था. Juan Pujol Gracias जो काफी चालाक और तेजतर्रार बुद्धि वाला व्यक्ति था. यह नाजी का गुप्त चर था लेकिन वह गुप्त रूप से ब्रिटेन के लिए काम कर रहा था.

जुवान इतना चला था कि वह कभी नाजियों के हाथ में नहीं आया. नाजियों को इसके बारे में कभी धनक भी नहीं पड़ी कि वह कितना बड़ा ठग है. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इसने कई सारे जानकारियां ब्रिटेन को दिया था और साथ ही साथ नाजियों को झूठे तथ्य दे करके गुमराह करता रहता था. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यह गुप्तचर कितना शातिर होगा.

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एक खास तरह का बक्सा

विश्वयुद्ध के दौरान एक खास तरह का बक्सा भी बनाया गया था. इस बक्से का इस्तेमाल उस दौरान ब्रिटेन ने अपने प्रधानमंत्री ” विंस्टन चर्चिल” को बचाने के लिए बनाया था. एक खास तरह के बक्से का नाम पोड (Pod) रखा गया था.

द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान उन्हें कई सारी जगह पर जाना पड़ता था और उस समय वे काफी बूढ़े भी हो चुके थे. लगातार काफी समय तक विमान की यात्रा करने से उनके शरीर के लिए नुकसान सो रहा था. इसलिए उनकी सुरक्षा के लिए एक खास तरह का बक्सा बनाया गया था. जिसके अंदर में जो आसानी से रह सकते थे.

जब बक्सा इतने काबिल था कि यह उन्हें दुश्मनों के हमले से भी बचा सकता था. इस बक्से पर गोली बारूद जैसे हम लोग का भी असर नहीं होता था. वैसे तो इस बक्से का इस्तेमाल कभी नहीं किया गया. यह बक्सा कभी विंस्टन चर्चिल के विमान के अंदर घुसी नहीं पाया.

द्वितीय विश्वयुद्ध में पहली मौत

विश्वयुद्ध के दौरान जर्मनी और जापान एक दूसरे के सहयोगी थे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पहले जर्मनी सिपाही की मौत एक जापानी सिपाही के हाथों से हुई थी.

इसलिए द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान पहली मौत जर्मनी सिपाही की कोई चीज जापानी सिपाही के हाथों हुई थी.

द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान सबसे ज्यादा बमों की बारिश की गई

द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान विमानों से काफी बड़ी संख्या में बम गिराए गए थे. यह वह भी मानते जो कि सबसे पहले दुश्मनों के द्वारा कब्जा किए गए जगहों पर जाकर के बम बरसाते थे.

यही वजह है कि इस तरह के विमानों पर सबसे ज्यादा हमले किए जाते थे. पूरे यूरोप में मित्र सेना ने एक लाख से भी ज्यादा बार बम गिराए थे.

अमेरिकी वायु सेना के सबसे ज्यादा लोग द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मारे गए थे. अमेरिकी मरीन क्रॉप में मारे गए थे जबकि युद्ध में अमेरिकी मरीन कॉर्प्स ज्यादा सक्रिय थी.

द्वितीय विश्वयुद्ध से जुड़े रोचक तथ्य

  • Stanislawa Leszczynska नाम की एक महिला ने 3000 से ज्यादा बच्चों को नाजी कैंप में मरने से बचाया था. 3000 यह बच्चे यहूदी बच्चे थे. हिटलर ने लगभग 1500000 बच्चों को मौत के घाट उतार दिया था.
  • वर्ष 1941 में युद्ध के दौरान पूरे अमेरिका में 3000000 से भी ज्यादा कार्य बनाई गई थी. लेकिन युद्ध के चलते अमेरिका को छोड़कर के पूरे विश्व भर में केवल 139 कारें ही बनाई गई थी.
  • युद्ध में मरे हर एक 5 जर्मनी सिपाही में से चार सिपाई पूर्वी मोर्चा पर ही मरे थे. आपको यह जानकर हैरानी हो सकती है कि द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान ज्यादा जर्मनी सिपाही रूसी सेना के द्वारा मारे गए थे.
  • वर्ष 1923 के सोवियत यूनियन में जन्मे 20% पुरुष ही द्वितीय विश्व युद्ध में जिंदा रह पाए थे. पुरुषों से महिलाएं इसलिए ज्यादा लंबे समय तक जिंदा रह पाती है, क्योंकि औसतन महिलाएं पुरुषों से कम खतरों का सामना करती है. यही नतीजा है कि दूसरे विश्वयुद्ध खत्म होते-होते रूस में केवल 20% पुरुष ही जिंदा रह पाए थे.
  • 12 साल की उम्र में ही युद्ध में लड़ने के लिए तैयार था अमेरिका का एक सिपाही. केल्विन नाम का एक अमेरिकी सिपाही केवल 12 वर्ष की उम्र में ही इसने अमेरिकी सेना में भर्ती हो गया था. हालांकि अमेरिका सेना में भर्ती होने के लिए इसने अपना उम्र गलत बताया था. जब यह युद्ध में जख्मी हो गया तब जाकर के इसके असली उम्र का पता चला था.
  • युद्ध में U -Boat पर काम करने वाला हर चौथा आदमी ही केवल बच पाता था. द्वितीय विश्वयुद्ध इतना भयानक था कि इस युद्ध में कई सारे सिपाहियों की जान चली गई थी. इस दौरान पनडुब्बियों का भी काफी इस्तेमाल किया गया था. उस दौरान इस्तेमाल की जाने वाली पनडुब्बी यू बॉट पर युद्ध के दौरान 4 में से केवल एक आदमी कि बच पाता था.
  • द्वितीय विश्व युद्ध में सबसे ज्यादा रूसी सिपाही की मौतें हुई है. आपको यह बात जानकर हैरानी होगी कि इस विश्व युद्ध में 2.7 करोड़ रूसी सिफाई की जान चली गई थी. लेकिन आज तक इसकी औपचारिक पुष्टि नहीं हो पाई है.
  • हिटलर और मशहूर कार निर्माता कंपनी हेनरी फोर्ड एक-दूसरे के काफी अच्छे मित्र थे. जहां पूरी दुनिया में हिटलर को पसंद नहीं किया जाता था वहीं पर स्थित अमेरिकी कार निर्माता कंपनी “Henry Ford” हिटलर के खास मित्र थे.
  • जापान के सबसे बड़े गुप्तचर संस्था का मुख्यालय जापान में नहीं बल्कि मेक्सिको में था. कई लोगों को सोचने में यह चीज मजबूर कर देगा कि दूसरे विश्वयुद्ध में जापान की गुप्तचर संस्था का मुख्यालय मेक्सिको में आखिर कैसे पहुंचा. इसके बारे में अभी भी कई सारे विवाद जारी हैं.
  • द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान रूस में सबसे ज्यादा युद्ध बंदियों को मौतें हुई है. एक रिपोर्ट या बताती है कि रूस में युद्ध बंदियों को मौत के घाट उतार दिया गया था. 85% से भी ज्यादा युद्ध बंदियों को साइबेरिया जैसे बीहड़ों में रखा करते थे. इन कैंपों में मरने का दर लगभग 85% से भी ज्यादा था.
  • दूसरे विश्वयुद्ध में सबसे पहला बम मित्र सेना के द्वारा गिराया गया था. दूसरे विश्व युद्ध में सबसे पहला बम जर्मनी के बर्लिन शहर में गिराया गया था जिसमें एक चिड़िया घर में मौजूद एक हाथी की मौत हो गई थी.
  • अगर तीसरा परमाणु बम गिरा होता तो उसका टारगेट जापान का टोक्यो शहर होता. वर्ष 1945 में 2 परमाणु बम गिराने के बाद अमेरिका अपना तीसरा परमाणु बम “ टोक्यो” पर गिराने की योजना बना रहा था.
  • पूरे विश्व युद्ध में 5 से 7 करोड लोगों की जानें चली गई थी. द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान इतने ज्यादा बमबारी और गोलीबारी उसका इस्तेमाल किया गया था कि इस युद्ध में पांच से सात करोड़ लोगों की जान चली गई थी. इसमें ज्यादातर नागरिक रूस, चीन जर्मनी और पोलैंड के थे.
  • आपको यह बात जानकर हैरानी होगी कि नाजी तकनीकी के क्षेत्र में भी अव्वल थे उन्होंने प्लूटोनियम परमाणु बम भी बना लिया था जो कि परमाणु बम से 1000 गुना ज्यादा शक्तिशाली था.
  • नाजियों की तरह ही जापानी सेना भी किसी से कम नहीं थी. उस दौरान जापानियों ने एक ऐसा लेजर बम बनाया था जिसका नाम Death Ray रखा गया था. उनके मुताबिक इस हथियार का इस्तेमाल करके वह काफी दूर से किसी भी इंसान को बिजली की तरंगों से मार सकते थे. यह हथियार इतना खतरनाक था कि अगर यह युद्ध में इस्तेमाल हो जाता तो शायद युद्ध का परिणाम भी बदल सकता था.
  • द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान सबसे बदकिस्मत अमेरिकी सिपाही चार्ली को माना जाता है. क्योंकि उसकी मौत जर्मन आर्मी के द्वारा किए गए एक अंम्बुस में हुआ था.
  • अमेरिकी सिपाही भी अपने वर्दी पर पहनते थे स्वास्तिक. द्वितीय विश्व युद्ध में पहले अमेरिकी सेना का 45 वाट डिवीजन अपने वर्दी के ऊपर स्वास्तिक चिन्ह को गुड लक के तौर पर पहनता था.
  • राजकुमारी एलिजाबेथ युद्ध में मैकेनिक और ड्राइवर का काम कर रही थी. द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान राजकुमारी एलिजाबेथ ने एक मैकेनिक और ड्राइवर के रूप में काम किया था. शायद ही आप लोगों में से किसी को इस बारे में जानकारी होगी.
  • हिटलर के प्राइवेट ट्रेन का नाम अमेरिका रखा गया था. बहुत सारे लोगों को यह बात चौंका देगी क्योंकि यह बात वाकई में सोच से परे है. हिटलर ने अमेरिका से इतना घृणा करता था कि उसी के प्राइवेट ट्रेन का नाम “Amerika” रखा था.
  • हिटलर ने खुद अपने सेना के 84 जनरल को मौत के घाट उतार दिया था. हिटलर वाकई में बहुत गुरूर तानाशाह था.
  • दूसरे विश्वयुद्ध में बनाए गए बायोवेपन को इस्तेमाल करने से खुद हिटलर नहीं मना किया था. यहां पर आपको हिटलर की थोड़ी इंसानियत नजर आएगी. द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान कोलेरा और आईपॉड जैसी किसी भी प्रकार के बायो व्यापम का इस्तेमाल करने से साफ मना कर दिया था. क्योंकि हिटलर ने खुद इस की दुर्दशा को प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान देखा था.
  • जर्मनी में बनाए गए यूरेनियम से ही हिरोशिमा और नागासाकी पर बम गिराए गए थे. वर्ष 1945 में हिरोशिमा के ऊपर जो परमाणु बम गिरा था उस में इस्तेमाल होने वाला यूरेनियम जर्मनी में ही बनाया गया था जो कि अमेरिका ने एक लड़ाई में हासिल कर लिया था.
  • एक अमेरिकी सिपाही जिसने 100 जापानियों सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था. Jhon R. McKinney एक ऐसा अमेरिकी सिफाई था जिसने अकेले 100 जापानी सैनिकों से पंगा ले लिया था. इस लड़ाई में उसने 38 से भी ज्यादा जापानियों को मार गिराया था.
  • युद्ध में कोका कोला पीना सिपाहियों के लिए बहुत ही जरूरी हो गया था. युद्ध में लड़ रहे थे भाइयों को Coca Cola बेहद ही पसंद था इसलिए कई सारे देशों की सेना में इसे एक महत्वपूर्ण चीज की तरह देखा जा रहा था.
  • जर्मन सेना के कारण 800000 से भी ज्यादा फ्रांसिस लोगों को अपना घर बार छोड़कर के भागना पड़ा था. वर्ष 1940 के गर्मी में जब जर्मनी सेना ने फ्रांस के उत्तरी हिस्से पर कब्जा किया तो लगभग 800000 से भी ज्यादा लोग अपने घरों बार से दूर भाग गए थे.

द्वितीय विश्वयुद्ध, के बारे में यह थे कुछ रोचक तथ्य जिन्हें पढ़कर के आपको जरूर कुछ जानकारी मिली होगी. आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा. अगर आपको हमारा यह लेख पसंद आया है तो आप हमें कमेंट करके जरूर बताएं.

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