Panchtantra Story of Crows and Owls – कौवे और उल्लू के बैर की कथा पंचतंत्र- पंचतंत्र की ऐसी ही और भी कहानियां पढ़ने के लिए आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं. हमने यहां पर पंचतंत्र की 60 से भी अधिक कहानियों को संग्रहित किया है.
Panchtantra Story of Crows and Owls – कौवे और उल्लू के बैर की कथा पंचतंत्र
एक बार की बात है, हंस, तोता, बगुला, कोयल, चातक, कबूतर और उल्लू आदि सभी पक्षों ने सभा करके यह सलाह की उनका राज तो केवल वासुदेव की भक्ति में लगा रहता है.
विपत्तियों से ना ही उनकी रक्षा का कोई उपाय करता है. इसलिए पक्षियों को अपना कोई अन्य राजा चुन लेना चाहिए. कई दिनों की बैठक के बाद सब ने एक समिति से उल्लू को राजा बना दिया.
राज्य अभिषेक की तैयारियां होने लगी, विविध तीर्थों से पवित्र जल मंगवाया गया, सिहासन पर रतन जड़े गए, स्वर्ण घाट भर गए, मंगल पाठ शुरू हो गया, ब्राह्मणों ने वेद पाठ शुरू कर दिया, नृत्य करने वालों ने नृत्य की तैयारी कर ली. उल्लूराज राज सिंहासन पर बैठ नहीं वाला था कि कहीं से एक कौवा आ गया.
कव्वे ने सोचा या समारोह कैसा है? यह उत्सव किस लिए है? पक्षियों ने भी कौवे को देखा तो आश्चर्य में पड़ गए. उसे तो किसी ने बुलाया ही नहीं था. फिर भी, उन्होंने सुन रखा था कि कव्वाल सबसे चतुर कूटर राजनीतिज्ञ पक्षी है. इसलिए उससे मंत्रणा करने के लिए सब पक्षी उसके चारों ओर इकट्ठा हो गए.
उल्लू के राज अभिषेक की बात सुनकर कौवे ने हंसते हुए कहा — ” यह चुनाव ठीक नहीं हुआ है. मोर, हंस, कोयल, सारस, सुख, अति सुंदर पक्षियों के रहते दीवान्ध उल्लू और एड़ी नाक वाले अप्रियदर्शी पक्षी को राजा बनाना उचित नहीं है.
वह स्वभाव से ही रौद्र है और कुटुभाषी है, फिर भी अभी तो वैनतेय राजा बैठा है. एक राजा करे थे दूसरों को राज सिहासन देना विनाशक होता है. पृथ्वी पर एक ही सूर्य होता है. वही अपनी आभा से पूरे संसार को प्रकाशित कर देता है. एक से अधिक सूर्य होने पर प्रलय हो जाती है. प्रलय मे बहुत से सूर्य निकल जाते हैं. उनसे संसार में विपत्ति ही आती है, कल्याण नहीं होता. Panchtantra Story of Crows and Owls
राजा एक ही होता है. उसके नाम कीर्तन से ही काम बन जाते हैं.
“यदि तुम उल्लू जैसे नीच, आलसी, कायर, व्यासनी और पीठ पीछे कटु भाषी पक्षी को राजा बनाओगे तो नष्ट हो जाओगे.
कौवे की बात सुनकर सब पक्षी उल्लू को राजमुकुट पहनाये बिना चल गए. केवल अभिषेक की प्रतीक्षा करता हुआ उल्लू उसकी मित्र श्री कलिका और कौवा रह गए. उल्लू ने पूछा –” मेरा अभिषेक क्यों नहीं हुआ?”
कृकलिका ने कहा — ” मित्र! एक कव्वे ने आकर हर रंग में भंग कर दिया है. से सब पक्षी उड़ कर चले गए हैं, केवल वाह कौवा ही यहां बैठा है.”
तब, उल्लू ने कौवे से कहा — ” दुष्ट कौव्वे! मैंने तेरा क्या बिगाड़ा था जो तूने मेरे कार्य में विघ्न डाल दिया. आज से मेरा तेरा वंश परंपरागत वैर रहेगा.”
यह कहकर उल्लू वहां से चला गया. कौवा बहुत चिंतित हो उठा था. उसने सोचा — ” मैंने तो आ कारण ही उल्लू से वैर मोल ले लिया. दूसरे के मामले में हस्तक्षेप करना और कटु सत्य कहना भी दुखद प्रद होता है. Panchtantra Story of Crows and Owls
यही सोचता सोचता हुआ कौवा वहां से चला गया. तभी से कौऔं और उल्लूऔं मे स्वाभाविक वैर चला आता है.