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The Brahmin & Three Crooks Panchtantra Story – बकरा , ब्राह्मण और तीन ठग
किसी गांव में शंभू दयाल नाम का एक ब्राह्मण रहता था. एक बार की बात है वह आपने यजमान से एक बकरा ले करके अपने घर जा रहा था. रास्ता लंबा और सुनसान था.
आगे जाने पर रास्ते में उसे तीन ठग मिले. ब्राह्मण के कंधे पर बकरे को देखकर तीनों ने उसे हथियाने की योजना बनाई. एक ने ब्राह्मण को रोक कर कहा , “पंडित जी यह आप अपने कंधे पर क्या उठा कर ले जा रहे हैं? यह क्या अनर्थ कर रहे हैं? ब्राह्मण होकर कुत्ते को कंधे पर बैठा कर ले जा रहे हैं.” उच्चकुल के लोगों को अपने कंधों पर कुत्ता नहीं लदना चाहिए.” The Brahmin & Three Crooks Panchtantra Story
ब्राह्मण ने उसे झिड़कते हुए कहा – ” अंधा हो गया है क्या? दिखाई नहीं देता या बकरा है.”
पहले ठग ने फिर से कहा, ” खैर मेरा काम आपको बताना था. अगर आपको कुत्ता ही अपने कंधे पर ले जाना है तो मुझे क्या? आप जाने और आपका काम.”
थोड़ी दूर चलने के बाद ब्राह्मण को दूसरा ठग मिला. उसने ब्राह्मण को रोका और कहा – ” पंडित जी क्या आपको पता नहीं कि उच्चकुल के लोगों को अपने कंधों पर कुत्ता नहीं लदना चाहिए.”
पंडित जी फिर झिडक कर बोले -” तुम्हें नहीं दिखता क्या? यह कोई कुत्ता नहीं! बल्कि बकरा है.”
कुछ दूर आगे जाने पर उन्हें तीसरा ठग मिला. उसने भी ब्राह्मण से उसके कंधे पर कुत्ता ले जाने का कारण पूछा. इस बार ब्राह्मण को विश्वास हो गया कि उसने बकरा नहीं बल्कि कुत्ते को अपने कंधे पर बिठा रखा है.
थोड़ी दूर जाकर, उसने बकरी को कंधे से उतार दिया और आगे बढ़ गया. इधर तीनों ठग ने इस बकरे को मारकर खूब दावत उड़ाई.
इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है कि किसी भी झूठ को बार बार बोलने से वह सच की तरह लगने लगता है. अंतर अपने दिमाग से काम ले और अपने काम पर विश्वास करें.