सियार और ढोल – The Jackel and the Drum Story Panchtantra Story

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सियार और ढोल – The Jackel and the Drum Story Panchtantra Story

एक बार की बात है, एक घने जंगल में दो राजाओं के बीच में भयंकर युद्ध हुआ था. एक जीता दूसरा हारा. सेना अपने नगरों की ओर लौट गई. बस, सेना का एक डोल पीछे रह गया था. उस ढोल को बजा बजाकर सेना के साथ गए भांड व चरण रात को वीरता की कहानियां सुनाते थे.

युद्ध के बाद एक दिन आंधी आई. आंधी के जोर से वार ढोल उड़ता उड़ता एक सूखे से पेड़ के पास जा लटका था. उस पेड़ की सूखी धनिया ढोल से इस तरह से चढ गई थी कि तेज हवा चलते ही ढोल पर टकरा जाती थी और ढमाढम ढमाढम की आवाज गूंजती थी.

एक दिन एक सियार उस क्षेत्र में घूम रहा था. उसने ढोल की आवाज सुनी. वह बड़ा भयभीत हुआ. ऐसी अजीब आवाज इससे पहले कभी नहीं सुनी थी. नाही इस तरह की आवाज किसी जानवर की थी. Panchtantra Story

The Jackel and the Drum Panchtantra Story

जो ऐसी जोरदार बोली बोलता है, ढमाढम ढमाढम ! वह सोचने लगा कि यह क्या सा जानवर है. जो ऐसी जोरदार बोली बोलता है, “ढमाढम ढमाढम” . सियार छिपकर ढोल को देखता रहता है, यह जानने के लिए कि यह जीव उड़ने वाला है या चार टांगों पर दौड़ने वाला.

एक दिन प्यार झाड़ी के पीछे छुप कर ढोल पर नजर रखता है . तभी पेड़ से नीचे उतरती हुई एक गैलरी कूदकर ढोल पर उतरी. हल्की सी ढम की आवाज भी हुई. गिलहरी ढोल पर बैठी दाना कुतरती रही.

सियार बड़बड़ाया ‘ ओह! तो यह कोई हिंसक जीव नहीं है. मुझे भी डरना नहीं चाहिए. सियार फूंक-फूंक कर कदम आगे रखते हुए ढोल के तरफ जाता है. ढोल को वह सूघता है. धोलका ना उसे कहीं सिर नजर आता है ना ही पैर. तभी हवा के झोंके सैटर्निया ढोल से टकराती है.ढमाढम ढमाढम की आवाज फिर से शुरू हो जाती है और सियार उछलकर पीछे जा गिरता है.

‘ अब समझ आया’. सियार उठने की कोशिश करते हुए बोलता है ‘ यह तो बाहर का खोल है, जीव इस खोल के अंदर होगा. आवाज बता रही है कि जो जीव इस खोल के अंदर रहता है, वह जरूर मोटा ताजा होना चाहिए. चर्बी से भरा शरीर. तभी यह ढमाढम ढमाढम की जोरदार बोली बोलता है.

अपनी मांद में घुसते ही सियार बोला ‘ ओ सियारी! दावत खाने के लिए तैयार हो जाओ. एक मोटे ताजे शिकार का पता लगा करके आया हूं.

सियारी पूछने लगी ‘ तुम उसे मारकर क्यों नहीं लाए? सियार ने उसे धड़कते हुए कहा ‘ क्यों मैं तेरी तरह मुर्ख नहीं हूं. वह एक खोल के भीतर छिपा बैठा है. खोल ऐसा है कि उसमें दो तरफ सुखी चमड़ी के दरवाजे हैं. मैं एक तरफ से हाथ डाल उसे पकड़ने की कोशिश करता तो वह दूसरे दरवाजे से ना भाग जाता? ‘Panchtantra Story

चांद निकलने पर दोनों ढोलकी और गए. जब वह निकट पहुंची रहे थे कि फिर हवा से ठहानियां ढोल पर टकराई और ढमाढम ढमाढम की आवाज निकलने लगी. सियार सियारी के कान में बोला ‘ सुनी उसकी आवाज? जरा सोच जिसकी आवाज ऐसी गहरी है, वह खुद कितना मोटा ताजा होगा?

दोनों ढोल को सीधा कर उसके दोनों और बैठ गए और लगे दांतो से ढोल के दोनों चमड़ी वाले भाग के किनारे को पढ़ने लगे. चमडिया कटने लगी, सियार बोला ‘ होशियार रहना. एक साथ हाथ अंदर डालकर शिकार को दबोच ना है.’ दोनों ने ‘हुं’ की आवाज के साथ हाथ ढोल के भीतर डाले और अंदर टटोलने लगे. अंदर कुछ नहीं था. एक दूसरे के हाथ ही पकड़ में आए. दोनों चिल्लाए ‘ हां’ यहां तो कुछ नहीं है. और भी माथा पीट कर रह गए.

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