The Merchant’s Son – व्यापारी के पुत्र की कहानी पंचतंत्र

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The Merchant’s Son – व्यापारी के पुत्र की कहानी पंचतंत्र

जैसे को तैसा

किसी नगर में एक व्यापारी का पुत्र रहता था. दुर्भाग्य से उसकी सारी संपत्ति समाप्त हो गई. इसलिए उसने सोचा कि किसी दूसरे देश में जाकर व्यापार किया जाए. उसके पास एक भारी और मूल्यवान तराजू था. जिसका वजन 20 किलो था. उसने अपने तराजू को एक सेठ के पास धरोहर गिरवी रख दिया और व्यापार करने दूसरे देश चला गया. The Merchant’s Son panchtantra Story

कई देशों में घूम कर उसने व्यापार किया और खूब धन कमाकर वहा घर वापस लौटा. एक दिन उसने सेट से अपना तराजू मांगा. सेठ बेईमानी पर उतर गया और वह बोला –

” भाई तुम्हारे तराजू को तो चूहे खा गए”. व्यापारी पुत्र ने मन ही मन कुछ सोचा और सेठ से बोला –

‘ सेठ जी, जब चूहे तराजू को खा गए तो आप कर भी क्या सकते हैं! मैं नदी में स्नान करने जा रहा हूं. यदि आप अपने पुत्र को मेरे साथ नदी तक भेज दे तो बड़ी कृपा होगी.’

सेठ मन ही मन में भी था कि व्यापारी का पुत्र उस पर चोरी का आरोप ना लगा दे. उसने आसानी से बात बनते ना देखी तो अपने पुत्र को उसके साथ भेज दिया.

स्नान करने के बाद व्यापारी के पुत्र ने लड़के को एक गुफा में छुपा दिया. उसने गुफा का द्वार चट्टान से बंद कर दिया और अकेले ही सेठ के पास लौट आया.

सेठ ने पूछा, ‘ मेरा बेटा कहां रह गया? ‘ इस पर व्यापारी के पुत्र ने उत्तर दिया,

‘ जब हम नदी किनारे बैठे थे तो एक बड़ा सा बाज आया और झपट्टा मारकर आपके पुत्र को उठाकर ले गया’. सेठ क्रोध से भर गया.

उसने शोर मचाते हुए कहा – ‘ तुम झूठे और मक्कार हो. कोई बाज इतने बड़े लड़के को उठाकर कैसे ले जा सकता है? तुम मेरे पुत्र को वापस ले आओ नहीं तो मैं राजा से तुम्हारी शिकायत करूंगा’.

व्यापारी पुत्र ने कहा, ” आप भी कहते हैं”. दोनों न्याय पाने के लिए जब राज दरबार में पहुंचे.

सेठ ने व्यापारी के पुत्र पर अपने पुत्र के अपहरण का आरोप लगाया. न्यायाधीश ने कहा, ‘ तुम सेठ के बेटे को वापस कर दो.’ The Merchant’s Son panchtantra Story

इस पर व्यापारी के पुत्र ने कहा कि ” मैं नदी के तट पर बैठा हुआ था कि एक बड़ा सा बाज झपट्टा मारकर सेठ के लड़के को पंजे में दबाकर उड़ा ले गया. मैं उसे कहां से वापस कर दूंगा?”

न्यायधीश ने कहा, ” तुम झूठ बोलते हो. एक बाज पक्षी इतने बड़े लड़के को कैसे उठाकर ले जा सकता है?’

इस पर व्यापारी के पुत्र ने कहा ,’ यदि 20 किलो भार कि मेरी लोहे की तराजू को साधारण चूहा खाकर बचा सकता है तो बाज पक्षी भी सेठ के लड़के को उठाकर ले जा सकता है.’

न्यायधीश ने सीट से पूछा, ‘ यह सब क्या मामला है?’

अततः सेठ ने सोए सारी बात राज दरबार में उगल दी. न्यायधीश ने व्यापारी के पुत्र को उसका तराजू दिलवा दिया और सेठ का पुत्र उसे वापस मिल गया.

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