The Wedding of The Mice Panchtantra Story – चुहिया का स्वयंवर

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The Wedding of The Mice Panchtantra Story – चुहिया का स्वयंवर

चुहिया का स्वयंवर

गंगा नदी के किनारे एक तपस्वी का आश्रम था. वहां याज्ञवल्क्य नाम का एक मुनि रहता था. मुनव्वर एक नदी के किनारे जल लेकर आचमन कर रहा था कि पानी से भरी हथेली पर ऊपर से कहीं एक चुहिया गिर गई.

उस चुहिया को आकाश में कोई बाज अपना शिकार बना कर ले जा रहा था. उसके पंजों से छूटकर वह नीचे गिर गई थी. मुनि ने उसे पीपल के पत्ते पर रखा और फिर से गंगा जल में स्नान किया. चुहिया मे अभी भी प्रांसिस थे. मुनि ने अपने प्रताप से उस चुहिया को कन्या का रूप दे दिया और अपने आश्रम मैं ले आया. The Wedding of The Mice Panchtantra Story

मुनि ने अपनी पत्नी को कन्या अर्पित करते हुए कहा कि – ” इसे अपनी की लड़की की तरह पालन पोषण करना है.” उनकी अपनी कोई संतान नहीं थी, इसीलिए मुनि की पत्नी ने उसका लालन-पालन बड़े प्रेम से किया. जब वह चुहिया रूपी कन्या 12 वर्षों की हुई तो वह उनके आश्रम में चलती रही.

जब विवाह योग्य अवस्था की हो गई तो पत्नी ने मुनि से कहा — ” नाथ! अपनी कन्या विवाह योग्य हो गई है. इसके विवाह का प्रबंध कीजिए.” मुनि ने कहा कि — ” मैं अभी आदित्य को बुलाकर इसे उसके हाथ सौंप देता हूं. यदि इसे स्वीकार होगा तो उसके साथ विवाह कर लेगी, अन्यथा नहीं.”

मुनि ने यह त्रिलोक का प्रकाश देने वाले सूर्य पति रूप से स्वीकार है?” पुत्री ने उत्तर दिया — “तात! यह तो आप जैसा गर्म है, मुझे स्वीकार नहीं है. इससे अच्छा कोई वर बुलाइए.”

मुनि ने सूर्य से पूछा कि वह अपने से अच्छा कोई वर बतलाए. The Wedding of The Mice Panchtantra Story

सूर्य ने कहा — ” मुझसे अच्छा मेघ है, जो मुझे ढक कर छुपा लेता है.”

मुनि ने मेघ को बुलाकर पूछा — ” क्या यह तुझे स्वीकार है?.”

कन्या ने कहा — ” यह तो बहुत काला है. इससे भी अच्छे किसी वर को बुलाओ.”

मुनि ने मेघ से पूछा कि उससे अच्छा कौन है. मेघ ने कहा ,” हमसे अच्छा वायु है, जो हमें उड़ाकर दिशा दिशा में ले जाती है.”

मुनि ने वायु को बुलवाया और कन्या से स्वीकृति पूछी. कन्या ने कहा — “तात! यह तो बड़ी चंचल है. इससे भी अच्छा कोई वर को बुलाओ.”

मुनि ने वायु से भी पूछा कि उससे अच्छा कौन है? वायु ने कहा, ” मुझसे अच्छा पर्वत है, जो बड़ी से बड़ी आंधी में भी स्थिर रहता है.”

मुनि ने पर्वत को बुलाया तो कन्या ने कहा – “तात! यह तो बड़ा कठोर और गंभीर है, इससे अधिक अच्छा कोई वर बुलाओ.”

मुनि ने पर्वत से कहा कि वह अपने से अच्छा कोई वर सुझाये. तब पर्वत ने कहा — ” मुझसे अच्छा चूहा है, जो मुझे छोड़कर अपना बिल बना लेता है.”

मुनि ने तब चूहे को बुलाया और कन्या से कहा – “पुत्री! यह मूषकराज तुझे स्वीकार हो तो इसे विवाह कर ले.”

मुनि की कन्या ने मूषकराज को बड़े ध्यान से देखा. उसके साथ उसे विलक्षण अपनापन अनुभव हो रहा था. प्रथम दृष्टि में ही वह उस पर मुक्त हो गई और बोली — ” मुझे मूषिका बनाकर मूषकराज के हाथ सौंप दीजिए.”

मुनि ने अपने तपोबल से उसे फिर चूहियां बना दिया और चूहे के साथ उसका विवाह कर दिया. The Wedding of The Mice Panchtantra Story

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